Monday 5 January 2015

महंगाई से हरित क्रांति ही निजात दिला सकती है....

  महंगाई से हरित क्रांति ही निजात दिला सकती है....

अच्छे दिन के वादे के साथ मोदी सरकार का एक महीना पूरा हो चूका है, पर जनता को महंगाई डायन से राहत नहीं मिली हैबढ़ती महंगाई से निजात दिलाना मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है. बेकाबू महंगाई ने उनके शुरुआती प्रयासों को जोर का झटका दिया है. जनता महंगाई की कहर से परेशान है. देश की जनता ने सत्ता परिवर्तन महंगाई एवं अच्छे दिनों के लिए किया था. जनता अब मोदी सरकार से सवाल करने लगी है और सरकार के हाथ पाव अभी से फूलने लगे हैं. पर मेरा मानना यह है कि यह सरकार के साथ नाइंसाफी है. किसी भी सरकार के लिए एक महीना बहुत कम है, कोई ठोस कदम उठाने के लिए. मोदी सरकार को समय देना चाहिए.
     सरकार की इस आलोचना के लिए रेल किराये में बढ़ोतरी और आयात शुल्क बढ़ाने से महंगी हुई चीनी आमजन के लिए नई मुसीबत है। खाद्यान्न, फल-सब्जियों के अलावा जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम भी तेजी से ऊपर की ओर भाग रहे हैं। प्रधानमंत्री को अब इस विकट स्थिति से दो-चार होना है क्योंकि जनता को उनसे अपार उम्मीदें हैं, जिन्हें वह हकीकत में बदलते देखना चाहती है। इसीलिए जनता उन्हें सौ दिन का भी समय देना नहीं चाहती। फलत: उनके फैसलों का नीर-क्षीर विवेचन शुरू हो गया है। सच यह है कि जनाकांक्षाओं की आंधी में चुनकर आने वाली सरकारों के समक्ष चुनौतियाँ भी बड़ी होती हैं। चूंकि आम चुनाव में मोदी ने सरकार बनते हीअच्छे दिनआने का भरोसा दिया था और जनता को उनके इस भरोसे पर यकीन था, इसलिए उसने उनके पक्ष में ऐतिहासिक जनादेश दिया। ऐसे में जनता की उम्मीदों का पहाड़ मोदी के समक्ष यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है। इसीलिए सरकार की आलोचना शुरू हो गई है जिसने प्रधानमंत्री को असहज कर दिया है। वह कह रहे हैं कि उन्हेंहनीमून पीरियडभी नहीं मिला। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जनता सत्ता परिवर्तन के साथ ही चौतरफा बदलाव देखने को उत्सुक है। यह इतिहास रहा है कि जनता जिसे सिर-आंखों पर बिठाती है, उसे भरोसा टूटने पर वैसे ही अपने चित से हटा भी देती है। इतिहास गवाह है कि जिस तरह मोदी को अप्रत्याशित चुनावी सफलता मिली है, कुछ ऐसी ही चुनावी सफलता 1971 में इंदिरा गांधी को मिली थी। जिस तरह अच्छे दिन आने की आस को लेकर आमजन मोदी के साथ खड़ा था, ठीक ऐसे हीगरीबी हटाओके लोकलुभावन नारे पर यकीन कर जनता ने श्रीमती गांधी को दो तिहाई बहुमत दिया था। आज मोदी की जैसी लोकप्रियता है, इंदिरा गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ भी उस समय अपने चरम पर था। किंतु 1972-1973 में सूखे के कारण देश में अकाल पड़ गया था। खाड़ी में अशांति के कारण विश्व बाजार में तेल की कीमत चार गुना बढ़ गई थी। फलत: खाद्यान्न तथा अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में 27 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई थी। तब इंदिरा गांधी को भी सत्ता में पहुंचाने में आजादी के बाद पहली बार मतदान करने वाले पढ़े-लिखे नौजवानों ने अहम भूमिका निभाई थी। किंतु महंगाई ने बाद में उन्हें बेहद अलोकप्रिय बना दिया था। आज मोदी को मिली चुनावी सफलता के पीछे भी पहली बार वोट देने वाले युवाओं की अहम भूमिका है जिसने समूचे देश में मोदी की सुनामी बनाने में अहम भूमिका निभाई  है क्योंकि महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर लोगों में कांग्रेस के प्रति असंतोष व्याप्त था। जनता को विश्वास हो चला था कि कांग्रेस के रहते महंगाई से राहत  नहीं मिलेगी. इसीलिए जनता ने मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत देकर मजबूत सरकार बनवाई है. किंतु सत्ता परिवर्तन के बावजूद महंगाई की मार में कोई कमी नहीं आई है. महंगाई लगभग छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. कमजोर मानसून के चलते आने वाला कल बेहतर नहीं दिख रहा है. जून के आखिरी तक ३६ प्रतिशत काम बारिश हुई है, जिससे भी महंगाई बढ़ी है एवं और भी बढ़ने के आसार हैं.
            महंगाई के लिए विदेशी हालत भी जिम्मेदार हैं, इराक और सीरिया में युद्ध के चलते तेल की कीमतों में आग लगी है। ऐसे में महंगाई पर लगाम कैसे लगेगी यह बड़ा सवाल है। यही आमजन की परेशानी का असल सबब है। इन हालात में रेल किराये में बढ़ोतरी और चीनी के भाव में उछाल, खाने में कंकड़ की तरह जनता को परेशान कर रहा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि एकमुश्त इतनी वृद्धि के बाद भी क्या रेल घाटा पूरा हो जाएगा। वैसे सरकारें सामान्य श्रेणी का किराया बढ़ाने से परहेज करती रही हैं, किंतु मोदी सरकार ने आमजन की भी परवाह नहीं की है। इतना ही नहीं, सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। इससे चीनी के दाम बढ़ गए हैं। ऐसा चीनी मिल मालिकों को उपभोक्ताओं की कीमत पर लाभ पहुंचाने के लिए हुआ है। स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव होने वाले हैं, इसलिए चीनी मिल मालिकों को खुश करने के लिए सरकार ऐसा कर रही है। इतना ही नहीं, वाहन पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने को लेकर भी सरकार पर उंगलियां उठ रही हैं। महंगाई तभी काबू हो सकेगी तब उत्पादन मांग से ज्यादा एवं कालाबाज़ारी पर लगाम लगेगी. इन सब के लिए समय चाहिए, एक प्लानिंग के तहत कृषि पर ध्यान देने की जरूरत है.
     

  महंगाई पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए देश में हरित क्रांति लाने की जरूरत है, किसानों की समस्याओं को दूर कर कृषि के लिए नई तकनीक एवं उत्तम किस्म के बीज मुहैया करानी होगी, बिजली एवं पानी की प्रचुर व्यवस्था करनी होगी, जिसके लिए नदियों एवं नहरों का जाल गाँव-गाँव तक बिछाना होगा. बिजली की किल्लत को ख़त्म करना होगा. कृषि को उद्योगो का  दर्जा देखकर युवाओं को भी कृषि को रोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा. सभी राज्यों में कृषि रिसर्च सेंटर के साथ साथ कृषि विश्वविद्यायल की स्थापना करनी होगी एवं लड़को को कृषि की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन देना होगा. अगर यह सब मोदी सरकार करने में सफल हो जाती है तो देश से महंगाई का खात्मा हो जायेगापर हमें भी इसके लिए मोदी सरकार को कम से कम दो से तीन साल तो देना ही होगा और सरकार को भी चाहिये की वह ठोस कदम उठाते हुए दिखे जिससे जनता को भरोसा हो सके. इससे महंगाई पर बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है एवं मोदी सरकार अपनी लोकप्रियता बरकरार रखने में कामयाब हो सकेगी.
Kuldeep Srivastava
Editor
Bhojpuri Panchayat

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